लेखक संजीव कुमार गंगवार की पुस्तक "कागज के फूल" फिर सुर्खियों में

 चर्चित पुस्तक " कागज के फूल  ( डिवाइन जर्नी ऑफ एन  ) " के लेखक संजीव कुमार गंगवार ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दिल्ली की प्रसिद्ध " परिवर्तन साहित्यिक संस्था" ने उन्हें वर्ष 2023 का साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पुरस्कृत किया  संजीव जी वर्तमान में वाराणसी में ओरिएण्टल इन्शुरन्स कंपनी में उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं और क्लेम सर्विस सेंटर के इंचार्ज हैं । जॉब की ज़िम्मेदारियों के साथ साहित्य में उनके द्वारा किया जाने वाला लगातार उच्च स्तरीय  काम उनकी यात्रा को यादगार बनाता है। 




B 15 B फोर्थ फ्लोर जैसा शानदार उपन्यास लिखने के तुरंत बाद उनकी कृति कागज के फूल आयी है। यह किताब मशहूर फिल्म निर्देशक और अभिनेता गुरुदत्त के यादगार काम पर आधारित है जिसमें उनकी फिल्में प्यासा , कागज़ के फूल व साहिब बीवी और गुलाम शामिल हैं । इस पुस्तक में संजीव ने गुरुदत्त की मास्टरपीस फिल्म कागज़ के फूल को 64 वर्षों बाद सच्चे अर्थों में खोल कर रख दिया है। कागज के फूल पर किया गया उनका विश्लेषण बहुत ज्यादा पसंद किया जा रहा है। कागज के फूल  मुंबई में भी धमाल मचा रही है। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए कई लोगों तक यह किताब पहुंच चुकी है। इसी किताब के आधार पर उन्होंने भारत सरकार से गुरुदत्त के लिए मरणोपरान्त भारत रत्न की मांग की है। 11 जून को दिल्ली में उनके स्थान पर उनकी छोटी बहन ने पुरुस्कार ग्रहण किया। उनकी किताब कागज के फूल खूब पढ़ी जा रही है। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें दो बार सम्मानित कर चुकी है। उनकी अधिकांश पुस्तकें युवा वर्ग को लेकर लिखी जाती हैं । इस सन्दर्भ में उन्होंने फोन पर बताया कि किसी भी देश का भविष्य तो युवा वर्ग ही होता है इसलिए साहित्य को जनसंख्या के इस वर्ग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। युवा संजीव साहित्य के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहे हैं । उनके लेखन की क्वालिटी , विषय का चुनाव और उसका प्रस्तुतीकरण आज उनके पाठक वर्ग के लिए खुशी की बात है।

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