#gurudatt गुरुदत्त को भारत रत्न दिलाने का एकल संघर्ष

 


कहते हैं कि इंसान के द्वारा किया गया शानदार काम एक न एक दिन जरूर पहचाना जाता है। ठीक ऐसा ही फिल्म निर्देशक गुरुदत्त की फिल्मों प्यासा , कागज के फूल व साहिब बीवी और गुलाम के साथ घटित होता दिख रहा है। उनकी ये फिल्में भी भारतीय सिनेमा की उपलब्धि मानी जाती हैं । ये तीनों फिल्में महान फिल्मों में शुमार होती हैं । पर गुरुदत्त के छोटे से जीवन की उपलब्धियों और मुख्य रूप से इन तीन फिल्मों के कारण अब उनके लिए भारत रत्न की मांग की जा रही है। यह शख्स हैं उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले के युवा लेखक संजीव कुमार गंगवार । उन्होंने गुरुदत्त के लिए भारत सरकार से मरणोपरान्त भारत रत्न का अनुरोध किया है और इस मांग को स्थापित करने के लिए " कागज के फूल " किताब लिखी है। यह किताब बहुत ज्यादा पसंद  की जा रही है। संजीव पहले भी कई बार इसके लिए देश के प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति को लिख चुके हैं और अपनी किताब कागज के फूल भेज चुके हैं  ।


Film actor gurudatt


 एक बार फिर उन्होंने श्री मोदी जी , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ , यूनियन मंत्री श्री अनुराग ठाकुर , राज्य मंत्री एल मुरुगन और राष्ट्रपति को कागज के फूल पुस्तक के साथ पत्र लिखा है। उनका कहना है कि गुरुदत्त को उनके काम के आधार पर भारत रत्न दिया जाना चाहिए। इसके लिए वे कई वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं ।

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