Gurudatt to bharatratna फिल्म निर्देशक व एक्टर गुरुदत्त के लिए भारत रत्न की मांग







 60 के दशक में एक दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु का शिकार होने वाले मशहूर फिल्म अभिनेता व निर्देशक गुरुदत्त को भारत रत्न देने की मांग उठी है। यह मांग युवा लेखक संजीव कुमार गंगवार ने की है। इसके लिए उन्होंने गुरुदत्त के कृतित्व पर "कागज के फूल  " किताब लिखी है।  वे 42 की उम्र तक 28 पुस्तकें लिख चुके हैं और बी 15 बी फोर्थ फ्लोर व मां हिंदी जैसी किताबों के लेखक हैं । मां हिंदी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें पुरस्कृत भी किया है। श्री योगी जी ने उन्हें मां हिंदी के लिए भोला नाथ तिवारी अवार्ड  2018 से सम्मानित किया था। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल श्री राम नायक ने उन्हें उनकी किताब मोबाइल टेक्नोलॉजी और समाज के लिए डॉ होमी भाभा जहांगीर अवार्ड 2017 से सम्मानित किया था।



Najeev kumar sahil 




संजीव पीलीभीत ज़िले के रहने वाले हैं और वर्तमान में वाराणसी में ओरिएण्टल इन्सुरेंस कंपनी में काम करते हैं । उन्होंने मई 2022 में गुरुदत्त को भारत रत्न देने के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जी को लिखा था। वे वर्ष 2016 से ही  इस सन्दर्भ में गुरुदत्त पर एक किताब पर काम कर रहे थे। कागज के फूल नाम की यह किताब अब प्रकाशित हुई है और इस बार उन्होंने अपने बताये हुए तथ्यों के पक्ष में अपनी किताब कागज के फूल भी प्रधानमंत्री मोदी जी , राष्ट्रपति महोदया महामहिम द्रोपदी मुर्मू जी और सी एम श्री योगी आदित्यनाथ जी को भेजी है। उन्होंने पीएम के वाराणसी स्थित कार्यालय में ज्ञापन भी दिया है और वे लगातार गुरुदत्त को भारत रत्न दिलाने के लिए प्रयासरत हैं ।  उनके अनुसार दुनिया को प्यासा , कागज के फूल व साहिब बीवी और गुलाम जैसी युगांतकारी फिल्में देने वाले गुरुदत्त ने यह उपलब्धियां मात्र 39 वर्ष के अपने छोटे से जीवन में प्राप्त की हैं । अपनी किताब कागज के फूल में उन्होंने गुरुदत्त की मास्टरपीस फिल्म कागज के फूल को संभवत : अब उनकी मृत्यु के 64 वर्षों बाद सही से डिकोड किया है और इस फिल्म को भारत के फिल्मी इतिहास की बेस्ट फिल्म के रूप में पहचाना है। यही कारण है कि इस किताब का ऐतिहासिक महत्व है। अगर गुरुदत्त को जानना है और उनके काम के महत्व को महसूस करना है तो " कागज के फूल  " से गुजरने से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

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